संदेश

Half Gandhi

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   चश्मा है पर वो नज़रिया नहीं। धोती है पर वो संयम की गांठ नहीं। लाठी है पर वो करूणा भाव नहीं। आक्रोश है पर वो जायज़ वजह  धर्म है पर वो कर्म नहीं । बोल है पर वचनों का तोल  नहीं

नकाब

   देख के भी अंदेखा करना मुझे आता है, शायद अब सच से यही मेरा नाता है। सही गलत का फरक करना जानता हूँ, पर शायद, गलत को सही कहना ही, समझ मानता हूँ। दूसरों के नजरिये से दुनिया देखने की आदत सी लग गई है, शायद रोज खुद बिखरता देख,ये आँखें अब थक गई है। खामोशियों की दस्तक अब सुन नहीं पाता हूँ, शायद उस शोर मे कहीं गुम सा जाता हूँ। बोलना नहीं चीखना जानता हूँ, शायद इसी को अब साहस मानता हूँ। इंसानियत को तो अब बस किताबों मे पाता हूँ, शायद इस माया को खुद से ज्यादा चाहता हूँ। दिल के बोल अब दिल मे ही रहते है, शायद इसी को अब परिपक्वता कहते है। अंधविश्वास मे भी मेरा एक विश्वास है, शायद इस डूबते वजूद की यही एक आखिरी आश है। मरते ज़मीर का दर्द कर सहन लिया है, शायद मैंने भी दुनिया के इस नक़ाब को पहन लिया है। शायद मैंने भी दुनिया के इस नक़ाब को पहन लिया है।  

Hmm - Ek Kadva Sach #HMM_nahi_jawaab_chahiye

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     Hmm   (ek kadva sach) (Kya aapki bhavnaao ki aag par kisine 'hmm' naam ke paani se bujhaya hai ? Kya aap bhi un logo mein se hai jo in gambhir prasano ka uttar dhoond rahe ki "What is the full form of Hmm ?", "Hmm ka reply kya kare ?". Toh bhaiyo or behno iska uttar samajhne ke liye aapko 100 janam or lagenge tab tak ke liye aap Dream 11 par team bhi na banaye , ye jo neeche likha hai use padhl lijiye ) Vo bhi kya raate thi, Jab ho rahi bindaas baaatein thi... 😆😆😆 Kuch tum kehti kuch mein kehta.. Or ye baato ka silsila bas yuhi chalte rehta ..😎😎😎 Lag raha tha ki is raat ka ab nahi hai koi dead end.. Aakhir bullet train se bhi tez ho rhe the ek dusre ko msg send.. Raat or dhull rahi thi par hamari baaatein phir bhi chal rahi thi..... 😈😈😈 Baato hi baato mein confidence kuch aisa aaya,  us ek char line ke msg ko mene ab 8 line tak pahuchane ka jimma uthaya.. 😉😉😉 Vaha se bhi jab usi vajan ka  reply aaya .. Toh Kasam se  solid maza aaya.. P

इंकलाब लेलों !

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                     Pat rio tic   Han go ver                                                                               @ media_bars आज कुछ मौसम केसरी-सफेद-हरा सा है। नाजाने क्यों हवाओं में एक उत्साह भरा सा है। हर कोई एक ही रंग में रंग चुका है। आखिर प्रतिष्ठा मे किस किसका सर नहीं झुका है। लगता है इन्कलाब का बाजार फिर सजा है, खरीदार बहुत है शायद यही एक वजह है। अब क्या होगा ? चीन से व्यापार का सफर आज थोड़ा खटकेगा।  पाकिस्तान से दुश्मनी का लोहा थोड़ा और तपेगा। देश का सैनिक आज एक आम बात बन जाएगा, क्योंकि हर कोई दूसरा जो उस तिरंगे को ओढ़े नजर आएगा। मेरा  कल्पानाओ का भारत वास्तविकता में मिल जाएगा। लेकिन, किन्तु, परन्तु, कल ये बाजार जब उठ जाएगा, आज हवाओ में बहता वो रंग कल जमीन में नज़र आएगा, और मेरा वास्तविकता का भारत एक बार फिर से कल्पानाओ में कही खो जाएगा।   

The Martyred Soldiers of Pulwama have a message for us..

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                                        (Inspired by 'if I die in a warzone. Box me up and send me home' by Tim O'Brien )        A Soldier's Message...... If I die in a warzone.  Box me up and send me home.  Tell the government not to feel shame.  Just blame someone and play the game. Tell the opposition not to shout. You'll soon get another chance no doubt. Tell the anchors not to wait. TRPs are high, you better debate. Tell my people not to grief.  Just post some condolences in brief. If I die in a warzone. Just do me a favour! Take care of my home. Take care of my home.      --------------------------------------------------------------- W hat we are doing  The nation is overwhelmed by the terror attack on CRPF convey. This dastardly act of terror has received worldwide condemnation. The terror group Jaish e-Mohammad has taken responsibility for this act. We all are demanding another 'surgical

CHUPPI #childabuse #metoo

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'There is a lot to hide than to reveal.  The scars of the past will take time to heal.'                                                            ****  चुप्पी  ****  ------------------------------------------------ >>>> बचपन के वो दिन थे प्यारे, <<<<< >>>>> दोस्त मेरे सोनू-रिंकी-टिंकी इतने सारे। <<<<< >>>>>> दिनभर घर मे खेलना और कूदना, <<<<<< >>>>>> बस यहीं दो काम  हमारे। <<<<<< >>>> आखिर लाडली थी मैं उस घर की, <<<< >>>> तो कोई भला हमें क्यों फटकारे? <<<< >>>>> हर हाथों से मैं गुजरी, <<<<< >>>> हर गोद मुझे पुकारे । <<<< >>>>>>> आखिर लाडली थी मैं उस घर की, <<<<<<< >>>>>>